देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंज्य सभागार में 16 अगस्त को एक विशेष विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय रहा: भविष्य का भारत व हमारी भूमिका। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से पतंजलि विश्विद्यालय के कुलाधिपति बाबा रामदेव जी और आरएसएस के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख माननीय रामलाल की उपस्थित रहे। आरएसएस के प्रमुख, CA श्री अनिल वर्मा जी ने कार्यक्रम के पृष्ठभूमि रखते हुए बताया कि एक राष्ट्र को समाज ही आगे बढ़ाता है। उन्होंने भविष्य का भारत के बारे में बताते हुए कहा कि वे भविष्य में भारत में अध्यात्म, संपूर्णता एवं अभिन्नता पर समाज खड़ा करना है। तथपश्चात देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पांड्या जी ने इस कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि विश्वभर में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पर दया का, करुणा का , मानवता का, अध्यात्मिक उत्कर्ष का अध्यात्मिक अनुसन्धान का सर्वाधिक विकास हुआ हैं। भारत का भविष्य ही विश्व का भविष्य हैं। साथ ही इस चर्चा का महत्व बताते हुए वे सभागार में उपस्थित सभी लोगों को ये याद दिलाते हैं कि हम कितने महापुरुषों के वंशज हैं, और हमारी क्या विश्व में क्या भूमिका है। इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बाबा रामदेव जी ने परम पूज्य गुरुदेव की महत्ता को दर्शाया। साथ ही उन्होंने बताया कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय, पतंजलि विश्वविद्यालय आरएसएस के नाम भिन्न हो सकते है परंतु उनका संकल्प एक ही है। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण से चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण और युग निर्माण है। बाबा रामदेव बताते हैं कि हमें अपने दायित्व का 100 प्रतिशत प्रमाणिकता से निर्वहन करना है। कार्यक्रम के अंतिम चरण में आरएसएस के अखिल भारतीय संपर्क विभाग के प्रमुख श्री रामलाल जी ने संघ के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसकी अपनी एक संस्कृति है और एक नागरिक है जो हमेशा अपने देश की सेवा के लिए तैयार रहते हैं। साथ ही उन्होंने यह बताया कि वसुदेव कुटुंब कम भी भारत के ऋषि मुनि की ही देन हैं। संगोष्ठी के विषय भविष्य का भारत व हमारी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हमे भविष्य के भारत को दुनिया के लिए बनाना है। कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
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